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आज के ब्लॉग में हम अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष के बारे में पढ़ेंगे| ये कैसे शुरू हुआ अमेरिका की एंट्री कैसे हुई? रूस का क्या रोल रहा ? तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान में वापसी का क्या कारण रहा ? तालिबान के वापस सत्ता में आ जाने से रूस ,चीन,पाकिस्तान को क्या फायदा रहा है? इस सभी में भारत कहा है और तालिबान के वापस आ जाने से भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?
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तालिबान
तालिबान जिसका अर्थ पश्तो भाषा में "विद्यार्थी " होता है यह एक कट्टर इस्लामिक विचारधारा वाला संगठन है जो अफ़ग़ानिस्तान में शरिया कानून लागू के\करना चाहता है | और अफ़ग़ानिस्तान को अमीरात अफ़ग़ानिस्तान बनाना चाहता है इस इस्लामिक विचारधारा जन्म साल *1980 में हुआ था जब सोवियत संघ (USSR) ने अफ़ग़ानिस्तान में अपनी फ़ौज उतारी थी उस सोवियत संघ के विरोघ में बहुत से छोटे छोटे गुट खड़े हुए उन में से ही एक था तालिबान | शुरुआत में अमेरिका द्वारा इस गुटों को भर पुर समर्थन मिला जिसके कारण 1990 में सोवियत संघ को अफ़ग़ानिस्तान से जाना पडा | सोवियत संघ के जाने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में बुरहानुद्दीन रब्बानी सरकार बनी और साथ सी तालिबान ने सर्कार में फएले भरष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई जिसका अफगानी जनता ने साथ दिया और 1995 आते आते तालिबान ने हेरात प्रान्त पर अपना अधिकार जमा लिया और 1996 में बुरहानुद्दीन रब्बानी की सरकर गिरा कर सत्ता हासिल कर ली 1998 तक 90 % अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया
तालिबान द्वारा किये गए अत्याचार
तालिबान ने सत्ता में आने से पहले जो वायदा किया था उसे पूरा नहीं किया उन्होंने कटर इस्लामिक शरिया कानून को लागू करवाया | तालिबान के सत्ता में आने पर कुछ ही देशो स\ने उसी मान्यता दी जिनमे पाकिस्तान सयुक्त अरब अमीरात जैसे कुछ देश शामिल थे
- तालिबान ने महिलाओं का घर से अकेले निकलना प्रतिबंधित कर दिया
- महिलाओ को घर से भहर निकलने पर घर के किसी मर्द का साथ होना अनिवार्य कर दिया
- 10 साल से बड़ी उम्र की लड़कियों का स्कूल जाना प्रतिभंधित कर दिया
- मर्दो को दाढ़ी और महिलाओ को बुरका अनिवार्य क्र दिया गया
- संगीत, टीवी जैसे मनोरंजन के साधन प्रतिबंधित क्र दिए
- कोई भी कानून तोड़ने पर निर्दयी और वीभत्स सजा दी जाने लगी
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- अंतराष्ट्रीय दबाव के बावजूद तालिबान ने बामियान की प्रसिद्ध बौद्ध प्रतिमाये तोड़ दी
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अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका की ENRTY
अमेरिका में हुए 9 / 11 के हमलो के बाद अमेरिका ने तालिबान वाली सरकार द्वारा चल रहे अफ़ग़ानिस्तान पर हमला बोल दिया और कुछ ही दिंनो में मुल्ला उमर जो तालिबान का नेता था की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया दरसल अमेरिका ने तालिबान पर हमला इस शक पर किया था की तालिबान ने अल - कायदा (आतंकवादी संगठन) के मुखिया और 9 /11 के मास्टरमाइंड ओसामा-बिन-लादेन को पन्हा दे रखी है
इसके बाद से तालिबान की जडे अफ़ग़ानिस्तान में पूरी तरह से नहीं फ़ैल पायी अमेरिका ने उन्हें रोक कर रखा |
अमेरिका ने ओसामा-बिन-लादेन को पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनवा प्रान्त के, बिलाल टाउन में 2 मई 2011 को अमेरिका की नेवी की घातक कमांडो यूनिट (US NAVY SEAL) द्वारा मार गिराया गया
और 1996 के तालिबान कमांडर मुल्ला उमर 2013 में टी.बी की बीमारी से मर गया
अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका के 20 साल
2021 में अमेरिका को अफ़ग़ानिस्तान में 20 साल पुरे हो चुके इस दौरान अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में 2 Trillion USD खर्च कर चूका है अमेरिका के साथ सन्धि से जुड़े NATO देश के सैनिक भी मरे गए लगभग 2500 सैनिक 450 UK के इन 20 सालो में शहीद हो चुकेहै और लगभग 20660 (ACORDING TO BBC) से ज्यादा सैनिक घायल हुए है 2019 में तब के अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गानी बताया था की 2019 तक 45000 मौते हो चुकी है
BROWN UNIVERSITY के द्वारा 2019 में किये गए सर्वे में अफ़ग़ानिस्तान में अब तक 64100 मौते हो चुकी है
इसी दौरान अमेरिका ने स्टेट ऑफ़ दी आर्ट के उसके मिलिट्री एकिपमेंट भी खो दिए
और इन सब का नतीजा ये निकला की अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को कभी पूरी तरह से नहीं हरा पाया और आखिर कार हार कर अफ़ग़ानिस्तान से जाना पड़ रहा है
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इस तरह से बिना प्लानिंग के निकलने से तालिबान ने अफगानी आर्म्ड फोर्सेज को आसानी से हरा दिया और बिलियन डॉलर के मिलिटरी एकिपमेंट तालिबान के हाथ लग गये
तो इन सभी बिन्दुओ पर नजर डालने के बाद मेरा opinion यही है की अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में पूरी तरह से विफल रहा है और ये अमेरिका की हिस्ट्री का सबसे महंगा FAILURS में से एक है
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